Ranchi : सीता सोरेन मामले में विवादित बयान मामले पर कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी ने अपना पक्ष रखा है। सोशल मीडिया पर शनिवार को अपना वीडियो जारी कर कहा है कि झूठे वीडियो के सहारे सियासी खेल चल रहा है। भाजपा और सीता सोरेन के खिलाफ 100 करोड़ का मानहानि का दावा करेंगे। साथ ही चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि भाजपा और सीता सोरेन द्वारा मेरे वीडियो को काट-छांट कर गलत तरीके से पेश किया गया है। ओरिजिनल वीडियो में मैंने सीता सोरेन का नाम तक नहीं लिया, फिर भी भाजपा की चालबाजियों में मेरे खिलाफ झूठ फैलाने के लिए वीडियो को क्रॉप कर पेश किया जा रहा है।

अंसारी ने आगे लिखा है कि भाजपा में आते ही उन्होंने अपना स्तर इतना गिरा लिया है कि झूठ के सहारे जामताड़ा की जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। सीता सोरेन आप इस क्रॉप किए गए वीडियो के सहारे चुनाव जीतना चाहती हैं, लेकिन याद रखें कि जामताड़ा की जनता मेरे साथ है और मुझे भली-भांति जानती है। आप चाहे जितने भी तिकड़म लगा लें, जनता का विश्वास मुझ पर अडिग है। मुझे बदनाम करने का यह प्रयास न सिर्फ मेरी प्रतिष्ठा पर आघात है, बल्कि सच्चाई को दबाने का षड्यंत्र भी है।

सीता सोरेन और भाजपा के इन प्रयासों के खिलाफ मैं कोर्ट में 100 करोड़ का मानहानि का दावा करूंगा और चुनाव आयोग में भी इस मामले को उठाऊंगा। यह वही भाजपा है, जिसने लोकसभा चुनाव के दौरान नाला के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो के बेटे पर भी झूठे आरोप लगवाए थे, जिनका बाद में पर्दाफाश हुआ। आज यही शातिर लोग मेरे खिलाफ भी यही हथकंडे अपना रहे हैं। मैं जल्द ही कोर्ट में न्याय की गुहार लगाऊंगा और इन झूठे आरोपों के खिलाफ सख्त कदम उठाऊंगा।

मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मांगी रिपोर्ट

जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी की ओर से सीता सोरेन पर की गयी कथित टिप्पणी मामले की जांच होगी। इसका आदेश राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने दिया है। आयोग ने एल खियांग्ते मुख्य सचिव, वंदना डाडेल प्रधान सचिव, डॉ. एहतेशाम वकारिब पुलिस अधीक्षक, जामताड़ा, अजय कुमार सिंह पुलिस महानिदेशक और कुमुद सहाय उपायुक्त, जामताड़ा को पत्र लिखकर ये आदेश दिया है।

जारी पत्र में कहा है कि समाचार पत्र एवं न्यूज़ चैनलों में कहा जा रहा है कि “इरफान अंसारी ने सीता सोरेन के लिए अमर्यादित टिप्पणी की। इसकी जांच की जाये और इसकी रिपोर्ट तीन दिन में प्रस्तुत करें। पत्र में आगे कहा गया है कि यदि नियत अवधि में उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो आयोग भारत के संविधान के अंतर्गत सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

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