Ranchi : फूड डिलीवरी करने वालों से लेकर ऐप बेस्ड कंपनियों के लिए गाड़ियां चलाने वाले और इस नेचर के काम से जुड़े वर्कर्स के लिए झारखंड में कानून का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। ऐसे वर्कर्स को गिग वर्कर्स के रूप में जाना जाता है। इस कानून का प्रस्ताव जुलाई महीने में ही कैबिनेट में लाने और उसके बाद राज्य विधानसभा के मानसून सेशन में पारित कराए जाने की तैयारी है। राज्य के श्रम एवं नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने यह जानकारी दी।

प्रस्तावित कानून का नाम झारखंड प्लेटफार्म बेस्ड गिग वर्कर रजिस्ट्रेशन एंड वेलफेयर एक्ट 2024 रखा गया है। इसका लक्ष्य इंटरनेट और मोबाइल बेस्ड ऐप के जरिए संचालित कंपनियों के लिए काम करने वाले वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं और न्यूनतम मजदूरी से जुड़े प्रावधानों के दायरे में लाना है। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्कप्लेस और ड्यूटी के दौरान कर्मियों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। कानून का जो ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, उसके अनुसार राज्य के सभी गिग वर्कर्स का सर्वे कराया जाएगा और इसके बाद उनका रजिस्ट्रेशन कराते हुए उन्हें यूनिक आईडी दी जाएगी। इस कानून के लागू होने के बाद इंप्लायर या वर्कर्स से काम लेने वाली थर्ड पार्टी एवं गिग वर्कर्स के बीच होने वाले कॉन्ट्रैक्ट के नियमों में पारदर्शिता होगी।

गिग वर्कर्स को यह अधिकार होगा कि वे कभी भी कॉन्ट्रैक्ट को अपनी ओर से खत्म कर सके। कानून का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए अपीलीय प्राधिकरण और वेलफेयर का भी गठन होगा। यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि सरकार इन वर्कर्स के लिए वेलफेयर कोष गठित करेगी। गिग वर्कर्स के लिए वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन श्रम नियोजन विभाग के मंत्री होंगे। श्रम सचिव, आईटी सचिव, कल्याण सचिव, परिवहन सचिव, वित्त सचिव अन्य प्रमुख विभागों के पदाधिकारी सदस्य सचिव होंगे।राज्य में गिग वर्कर्स की अनुमानित संख्या लगभग एक लाख होने का अनुमान है। गिग वर्कर्स के कल्याणार्थ दुनिया भर में किए जा रहे कार्यों की जानकारी लेने के लिए इसी वर्ष मार्च में राज्य के श्रम विभाग के अफसरों की एक टीम ने तुरिन शहर का दौरा किया था। उन्होंने वहां गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा पर आईएलओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था।

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