Ranchi : झारखंड में एक्टिव एक गैंग ऐसा है जो चोरों को सैलरी पर बहाल करता है। हरेक मोबाइल चोर को प्रतिमाह टारगेट पूरा करने पर ही पूरा वेतन दिया जाता है। टारगेट हासिल नहीं करने वाले चोरों को वेतन कट जाता है। यह गैंग साहेबगंज से ऑपरेटिव होता है। इस गैंग से जुड़े तमाम चोर झारखंड के अलग-अलग जगहों पर अपना टारगेट पूरा करने के लिये दिन-रात टोह में लगे रहते हैं। इस गैंग से जुड़े सात शातिर चोरों को रांची पुलिस ने धर लिया है। इनके पास से चोरी के करीब 79 मोबाइल फोन मिले। गिरफ्तार चोरों के नाम मिथुन नोनिया, लड्डू नोनिया, पुसवा नोनिया, अर्जुन नोनिया और जितेंद्र नोनिया बताये गये। इसमें दो नाबालिग है। गिरफ्तार सभी चोर साहिबगंज के तीन पहाड़ इलाके के रहने वाले हैं। राजधानी रांची से चुराया गया मोबाइल बांग्लादेश में औने-पौने दाम में बेच दिया जाता था। इस बात का खुलासा आज रांची पुलिस ने किया।
रांची पुलिस कप्तान चंदन कुमार सिन्हा ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार चोरों ने पुलिस को बताया कि ये लोग मेन रोड, कांटाटोली, अरगोड़ा, बिरसा चौक, कटहल मोड, दलादली और अन्य इलाकों में घूम-घूम कर मोबाइल चोरी करते हैं। गैंग में नाबालिगों को इस वजह से रखा जाता है, ताकि मोबाइल चोरी करते वक्त अगर वह पकड़े जाते हैं तो गिरोह के अन्य सदस्य मौके पर पहुंच खुद दो-चार थप्पड़ लगा बच्चा बोलकर लोगों से कहते हैं कि उन्हें छोड़ दिया जाये। ऐसा कर के वह सदस्यों को बचा लेते हैं। पुलिस का दावा है कि चोरों के पास से करीब 15 लाख रुपये से अधिक का मोबाइल बरामद हुआ है। कई मोबाइल हैं जो काफी महंगे भी हैं। SSP ने बताया कि रांची के रातू इलाके से एक मोबाइल चोर को रंगे हाथ पकड़ा गया। उससे पूछताछ के बाद रांची पुलिस को यह बेहतरीन कामयाबी मिली।
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