रांची। आपराधिक मामलों में दोषियों को सजा दिलाना हमारी प्राथमिकता है और इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य एक ऐसी अभियोजन प्रणाली विकसित करना है जो न केवल कुशल हो बल्कि समाज में विश्वास भी पैदा करे। यह बातें 10 अप्रैल 2025 को उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी मंजूनाथ भजन्त्री ने कही। वह अभियोजन कार्य की गुणवत्ता में सुधार एवं आपराधिक न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने को लेकर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (पीपी) और असिस्टेंट प्रॉसिक्यूटर संग अपने कार्यालय कक्ष में एक महत्वपूर्ण बैठक कर रहेे थे। उन्होंने कहा यह बैठक राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होेगा। इस बैैठक में जिला के अभियोजन तंत्र को मजबूत करने और आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने समेत कई ठोस रणनीतियों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से अभियोजन कार्य को और अधिक पेशेवर और समयबद्ध बनाए जाने, अभियोजकों को आधुनिक प्रशिक्षण देने, तकनीकी संसाधनों के उपयोग और जांच एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय आदि पर बल दिया गया। इसके लिए अभियोजन अधिकारियों को आधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने पर भी सहमति बनी। बैठक में मुख्य रूप से पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (पीपी) अनिल कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रॉसिक्यूटर सिद्धार्थ सिंह, संगम कुमार, निखार वर्णवाल, विधि विशेषज्ञ और जिला के वरीय पदाधिकारी शामिल हुए।
आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ाना
आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए साक्ष्यों को मजबूत करने और अदालतों में प्रभावी पैरवी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, फॉरेंसिक सुविधाओं का बेहतर उपयोग और गवाह संरक्षण कार्यक्रम को सशक्त करने पर बल दिया गया। पुराने लंबित मामलों को तेजी से निपटाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया। उपायुक्त ने अभियोजन कार्यालयों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए नए संसाधनों के आवंटन पर चर्चा की। इसमें डिजिटल अभिलेख प्रणाली, आधुनिक कार्यालय उपकरण और अभियोजकों के लिए बेहतर कार्यस्थल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में अभियोजन कार्यालयों की स्थापना को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव रखा गया ताकि न्याय तक पहुंच आसान हो सके।