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उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार से मिले NSUI के राज्य उपाध्यक्ष अमन, नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने की मांग

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रांची। झारखंड NSUI के राज्य उपाध्यक्ष अमन अहमद सोमवार को उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार से मिले। श्री अहमद ने प्रधान सचिव को लिखित ज्ञापन देकर उनसे रांची विश्वविद्यालय में चल रहे नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की। साथ ही, उन्हेें इस नियुक्ति में हो रही गड़बड़ियाें के प्रति अवगत कराया। राज्य उपाध्यक्ष ने कहा उक्त नियुक्ति में UGC की अहर्ता संबंधी नियमावली का अक्षरसः अनुसरण किया जा रहा है जबकि UGC ने स्वयं ही राज्य सरकार एवं राज्य विश्वविद्यालयों से कहा है कि अपने राज्य में संचालित विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति हेतु राज्य लोक सेवा आयोग नियुक्ति नियमावली बना सकती है और इसी नियमावली से नियुक्ति की जानी चाहिए। इसके तहत झारखंड लोक सेवा आयोग ने नियुक्ति नियमावली बनाई और अनुसरण हेतु राज्य सरकार को भेज दिया। चूंकि वर्तमान में झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य का पद रिक्त है। कई पदाधिकारी का भी पद रिक्त है और स्थाई नियुक्ति नहीं हो रही है इसलिए सरकार को अनुबंध आधारित नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति करनी पड़ रही है। लेकिन, झारखंड का ब्यूरोक्रेसी स्थानीय आदिवासी एवं मूलवासी की भावनाओं को दरकिनार कर JPSC द्वारा निर्मित नियमावली को नहीं मानकर UGC की नियमावली के तहत अनुबंध आधारित नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति राज्य के 8 विश्वविद्यालय में कर रही है। रांची विश्वविद्यालय की बात करें तो केवल इस विश्वविद्यालय में UGC की इस नियमावली से 97% अभ्यर्थी राज्य से बाहर के हैं, जिनका शैक्षणिक दस्तावेज का सत्यापन किया जा रहा है। इस नियुक्ति में झारखंड के आदिवासी मूलवासी अभ्यर्थी बाहर हो जा रहे हैं, जिसकी चिंता ना तो रांची विश्वविद्यालय को है और ना ही सरकार के उच्च पदाधिकारियों को है।

अमन अहमद ने कहा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन यह मांग करती है की झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा तैयार नियमावली के तहत ही यह नियुक्ति हो अन्यथा इस नियुक्ति को पूर्णतः रद्द किया जाए ताकि स्थानीय अभ्यर्थियों को नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में उचित अवसर मिल सके। यहां के आदिवासी मूलवासियों को इस नियुक्ति में उचित अवसर प्रदान करना सरकार और झारखंड ब्यूरोक्रेसी की जिम्मेवारी है। यह नियुक्ति 100 फीसद सेटिंग गेटिंग का है तभी तो सभी मेरिट लिस्ट में सबका नाम, कैटेगरी और राज्य ही ऐड किया गया जबकि सभी का जाति और आवासीय प्रमाण पत्र को गुप्त रखा गया है। इससे स्थानीय आदिवासी मूलवासी को नौकरी से वंचित रखने की साजिश है। राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों को नौकरी के रूप में गुलाबों का बिस्तर दिया जा रहा है, जो स्थानीय के साथ छल करने जैसा है। माननीय उच्च न्यायालय झारखंड द्वारा ये स्पष्ट कहा गया है कि भविष्य में किसी भी विश्वविद्यालय में गेस्ट, अनुबंध इत्यादि जैसी नियुक्ति प्रक्रिया नहीं किया जाए, क्योंकि इससे झारखंड से वसूला गया करदाताओं का पैसा बर्बाद किया जा रहा है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। रांची विश्वविद्यालय द्वारा नीड बेस्ड साक्षात्कार एवं नियुक्ति प्रक्रिया ये दर्शाता है कि माननीय उच्च न्यायालय झारखंड की आदेश की अहवेलना की जा रही है।

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