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रांची विश्वविद्यालय को NAAC में B++ ग्रेड मिलने पर NSUI ने उठाए सवाल

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रांची। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने रांची विश्वविद्यालय को NAAC में B++ ग्रेड मिलने पर सवाल खड़े किए हैं। संगठन के राज्य उपाध्यक्ष अमन अहमद ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजित कुमार सिन्हा के कार्यकाल पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा है कि कुलपति पठन-पाठन, अध्यापन एवं विवि प्रशासनिक व्यवस्था में कम और राजनीति करने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसका प्रमाण रांची विश्वविद्यालय को नैक टीम से B++ का ग्रेड मिलना है। यह राज्य के छात्र-छत्राओं के लिए काफी शर्मनाक है कि राज्य के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को B++ मिला है जबकि इसके बाद में गठित विश्वविद्यालयों जैसे विनोबा भावे विश्वविद्यालय, कोल्हान एवं अन्य विश्वविद्यालय को भी नैक टीम ने B++ दिया है। गौरतलब हो कि रांची विश्वविद्यालय राजधानी के बीचों-बीच हार्ट ऑफ दि सिटी में स्थित है। राज्य सरकार इसके संवर्धन एवं विकास में सबसे अधिक राशि खर्च करती है। राज्य के अन्य विश्वविद्यालय की तुलना में रांची विश्वविद्यालय में आधारभूत सुविधा अत्यधिक है, बावजूद इसे B++ मिलना दुर्भाग्य है। कुलपति डॉ सिन्हा अपने कार्यकाल में पूरी तरह फेल हैं।

शिक्षकों की भारी कमी केवल रांची विश्वविद्यालय की बात नहीं

राज्य उपाध्यक्ष ने कहा जहां तक शिक्षकों की कमी का प्रश्न है तो यह केवल रांची विश्वविद्यालय की बात नहीं है। राज्यभर के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। बावजूद अन्य विश्वविद्यालय B++ लाते हैं और कुलपति डॉ सिन्हा शिक्षकों का रोना रोकर अपनी विफलता को छुपाने का कार्य कर रहे हैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी पिछले तीन दशकों से है लेकिन विश्वविद्यालय की ऐसी दुर्गति पहले कभी नहीं हुई, जितना इनके कार्यकाल में हुआ है। दरअसल, कुलपति महोदय को रांची विश्वविद्यालय के संवर्धन और विकास से कोई लेना-देना नहीं है। यही कारण है कि नैक टीम के रांची दौरे पर रांची विश्वविद्यालय खरी नहीं उतर सकी और B++ पाकर संतुष्ट दिखी। यदि कुलपति महोदय विश्वविद्यालय हित का सोचते तो उनकी हर संभव कोशिश होती कि विश्वविद्यालय को A++ मिले।

कुलपति डॉ अजित सिन्हा के संपूर्ण कार्यकाल की जांच की मांग

NSUI ने वर्तमान कुलपति डॉ अजित सिन्हा के संपूर्ण कार्यकाल की जांच की मांग राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से की है। साथ ही, कुलपति को पदमुक्त करने की भी मांग की गई है। संगठन ने कहा है वर्तमान कुलपति का कार्यकाल महज तीन माह शेष हैं इसलिए आनन-फानन में वेे बाहरी अभ्यर्थियों को नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में नियुक्त करने वाले थे। लेकिन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रयास से उनके मंसूबों में पानी फिर गया इसलिए वह बौखलाहट में राजभवन जाने की सोच रहे हैं जबकि उनको जानकारी नहीं है कि संगठन ने सभी मामलों से महामहिम राज्यपाल को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया है और उचित कार्रवाई की मांग की है।

नए कुलपति के रूप में स्थानीय शिक्षाविद् काे मिले अवसर

संगठन ने नए कुलपति के रूप में किसी स्थानीय शिक्षाविद् काे अवसर उपलब्ध कराने की बात कही है। साथ ही, कहा है वर्तमान कुलपति पर पूर्व में भी कई आरोप लगते रहे हैं इसलिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री से अपील है कि इनके संपूर्ण कार्यकाल की गहनता से जांच हो और तत्काल प्रभाव से इन्हें कुलपति पद से हटाया जाए और स्थानीय शिक्षाविद को कुलपति मनोनीत किया जाए ताकि रांची विश्वविद्यालय की दुर्दशा सुधर सके।

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने जो मांग की

  • कुलपति महोदय अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को सार्वजनिक करेें। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि जब विश्वविद्यालय में सरकार ने सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं तो क्यों यहां के छात्र-छात्राएं अच्छे नबरों से उतीर्ण नहीं होते?
  • क्यों नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में रांची विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं पिछड़ गए?
  • क्यों रांची विश्वविद्यालय को NAAC से A+ या A++ नहीं मिला?
  • 2017 में हुए NAAC निरीक्षण में NAAC सदस्यों ने कहा था झारखंड में जिसने भी विश्वविद्यालय हैं, उन सभी में रांची विश्विद्यालय का EDPC सबसे अच्छा है, यहां की व्यवस्था अच्छी है फिर इनके कार्यकाल में विवि फिसड्‌डी कैसे हो गया?
  • ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई कि तत्काल EDPC को बंद करना पड़ा?
  • यहां के कर्मचारियों को महीनों से मुख्यालय में क्यों रखा गया है?

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