New Delhi : मणिपुर में जारी हिंसा के बीच शांति की पहली हुई। केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर मणिपुर के मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के 20 विधायक दिल्ली पहुंचे। बैठक पहले गृह मंत्रालय में तय थी, लेकिन बाद में उन्हें खान मार्केट स्थित आईबी दफ्तर ले जाया गया। मंगलवार को बैठक में आईबी के पूर्वोत्तर के संयुक्त निदेशक राजेश कांबले, बीजेपी के समन्वयक संबित पात्रा, केंद्र के सुरक्षा सलाहकार एके मिश्रा और अन्य अधिकारी मौजूद थे।

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बुलाई थी विधायकों की बैठक

बैठक में पहले कुकी, फिर मैतेई और बाद में नगा नेताओं से बातचीत की गई, जिसमें उन्होंने अपनी-अपनी मांगें केंद्र के सामने रखी। इसके बाद सभी नेताओं को एकत्रित कर संकल्प दिलाया कि मणिपुर में न तो कोई गोली चलेगी और न ही किसी की जान जाएगी। तीनों समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस पर सहमति जताई और एक-दूसरे से हाथ मिलाया।

सूत्रों के मुताबिक मणिपुर में हालात को सुधारने के लिए नगा लोगों का अहम रोल था। राज्य में 2016 में सात नए जिले बनाए गए थे, जिन्हें कुकी बहुल कहा जाता है, हालांकि यहां नगा भी रहते हैं। नगा संगठन, यूनाइटेड नगा काउंसिल, इन जिलों को वापस लेने और 1972 की स्थिति को बहाल करने की मांग कर रहा है। 11 सितंबर को गृह मंत्रालय से 15 दिन में इस मुद्दे को हल करने की चेतावनी दी थी।

कुकी जनजाति ने तीन मुख्य मांगें उठाई जिसमें सीएम एन. बीरेन सिंह को हटाना, कुकी इलाकों में अलग प्रशासन की मांग और हथियारबंद समूहों को गैर-कानूनी घोषित करना। इन मांगों पर अंतिम निर्णय कुकी काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

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