India News: महाकुंभ में इस बार श्रद्धालुओं का रेला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को सुबह 10 बजे तक 58.13 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस विशाल आयोजन में लाखों लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने के लिए जुटे हुए हैं, और यह दृश्य किसी बड़े महानगर की हलचल से कम नहीं है। यह महाकुंभ का पर्व एक अद्भुत अनुभव है, जिसमें हर श्रद्धालु को भगवान के दरबार में अपनी आस्था का अहसास होता है।
महाकुंभ नगर की स्थिति इस समय एक अनोखी हलचल से भरी हुई है। सुबह से लेकर मध्य रात्रि तक चारों तरफ ‘जय माता दी’ के उद्घोष सुनाई देते हैं। महाकुंभ का यह अद्भुत माहौल लोगों को आकर्षित करता है। प्रयागराज के संगम तट पर आने के बाद हर व्यक्ति को लगता है कि वह एक पवित्र स्थान पर आ गया है, और जैसे ही वह तट पर डुबकी लगाता है, उसकी सारी थकान दूर हो जाती है।
कुछ दिनों पहले तक अनुमान था कि माघी पूर्णिमा के बाद भीड़ घट जाएगी, लेकिन इस बार यह अनुमान गलत साबित हुआ। रविवार सुबह 08 बजे तक 36.35 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया था, जबकि अब तक 52 करोड़ से अधिक लोग महाकुंभ में आ चुके हैं। भव्यता और श्रद्धा का यह आयोजन इस बार बहुत अधिक संख्या में लोगों को आकर्षित कर रहा है। इसके चलते विभिन्न रास्तों पर भारी जाम की स्थिति बनी हुई है। कानपुर रोड पर शहर से बाहर 15 किलोमीटर तक जाम लगने के कारण यातायात व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा। वहीं, लखनऊ से आने वाले श्रद्धालुओं को जो अधिकतम तीन घंटे का रास्ता था, उसमें आठ घंटे लग गए। यही हाल बनारस से आने वाले श्रद्धालुओं का भी रहा।
गुजरात से आए शिवेन्द्र का कहना है, “रास्ते में बहुत परेशानी हुई, लेकिन संगम में डुबकी लगाने के बाद शरीर पूरी तरह से तरोताजा हो गया। ऐसा लगा ही नहीं कि मैंने दस किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंचा है।” वहीं सुलोचना देवी का कहना है, “एक डुबकी लगाने के बाद मां गंगा, सरस्वती और यमुना के आशीर्वाद से शरीर में ताजगी भर जाती है, और सारी थकान गायब हो जाती है।”
प्रयागराज के स्थानीय पंडा लोगों का कहना है कि पहले माघी पूर्णिमा तक ही भीड़ अधिक होती थी, लेकिन इस बार स्थिति अलग है। पंडा समुदाय के लोग मानते हैं कि इस बार माघी पूर्णिमा के बाद भी श्रद्धालुओं की संख्या में कमी नहीं आई। इसके कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर मेला होली तक जारी रहे, तो भी भीड़ कम नहीं होगी। बहुत लोग यह सोचकर मेला आ रहे थे कि माघी पूर्णिमा के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन मीडिया में भीड़ को दिखाए जाने के बाद श्रद्धालु फिर से माघ माह के अंत में यहां आ रहे हैं।
महाकुंभ का यह आयोजन इस बार और भी भव्य और अद्वितीय रूप में सामने आया है। इस वर्ष उम्मीद थी कि माघ माह के बाद मेला धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा, लेकिन श्रद्धालुओं की निरंतर आस्था और उत्साह ने हर अनुमान को गलत साबित किया। अब मेला क्षेत्र में बढ़ी हुई भीड़ को लेकर प्रशासन भी पूरी तैयारी कर रहा है। इस महापर्व में हर कोई अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त करने के लिए यहां आना चाहता है, और यह हर व्यक्ति के लिए एक खास अनुभव बन गया है।