New Delhi : दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी रिहाई से न केवल हरियाणा, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजधानी में सरकार को भी जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा, वल्कि नई दिल्ली के विकास से जुड़े कामों को भी गति मिलेगी।

साथ ही वे अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी में नया उत्साह भरने का काम करेंगे।आप ने एक बयान में कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, जो मंत्रिपरिषद के प्रमुख हैं और विभिन्न विभागों के मंत्रियों के जरिए शासन की देख-रेख करते हैं। उन्हें अपने सभी मंत्रियों को निर्देश देने का पूरा अधिकार है, ताकि जनहित में काम हो सके। सीएम द्वारा केवल उन्हीं फाइलों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिन्हें एलजी के पास भेजा जाना होता है, जिसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिली हुई है। इसलिए, दिल्ली के लोगों का कोई भी काम नहीं रुकेगा।

कई अहम नीतिगत फैसले हैं, जिनमें महिला सम्मान निधि योजना- 18 साल से ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता देना। इसकी घोषणा इस साल दिल्ली के बजट में की गई थी। इसके अलावा दैनिक मजदूरों के लिए महंगाई भत्ता, दिल्ली स्टार्ट-अप नीति, दिल्ली बाजार पोर्टल, क्लाउड किचन नीति, फूड ट्रक नीति, लॉजिस्टिक्स योजना, दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन, विनिर्माण और नवीनीकरण (ईएसडीएमआर) नीति 2022-27 और औद्योगिक एवं आर्थिक विकास नीति 2023-33 तैयार हैं। इन्हें सीएम की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत देते समय उन पर जो शर्तें लगाई गई थीं वह यथावत रहेंगी। आप ने दावा किया कि सीएम शासन की देख-रेख करते रहेंगे और दिल्ली में काम नहीं रुकेगा। ईडी मामले में जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दिल्ली सचिवालय जाने से रोक दिया था, लेकिन उन्हें उन फाइलों को एलजी के पास भेजने की अनुमति दी थी, जिनके लिए एलजी की मंजूरी की आवश्यकता होती है। कैबिनेट में रिक्त पद के लिए एक नए मंत्री की नियुक्ति और मेयर चुनाव के लिए एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए भी केजरीवाल की मंजूरी का इंतजार है।

आप विधायक और वकील सोमनाथ भारती ने कहा कि कोर्ट ने सीएम को उन सभी फाइलों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दे दी है, जिनके लिए एलजी की मंजूरी की जरूरत होती है। भारती ने कहा, सरकार द्वारा लिए गए ज्यादातर फैसलों के लिए एलजी की मंजूरी की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि काम प्रभावित नहीं होगा। हमारी कानूनी टीम इन सभी पहलुओं पर गौर करेगी और जहां भी जरूरत होगी, स्पष्टीकरण या छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

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