Dhaka : बांग्लादेश में खूनी बवाल के बाद सत्ता परिवर्तन हो गया। आरक्षण की आंधी में शेख हसीना को कुर्सी चली गई। उन्हें बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी हैं। मगर भारत में भी उनकी मुसीबत उनका साथ नहीं छोड़ रही। अब उनके प्रत्यर्पण की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर विचार कर रही है। इस बीच खालिदा जिया के सिपहसालार ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।

दरअसल, बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ( BNP ) यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, ताकि उन पर बांग्लादेश में मुकदमा चलाया जा सके। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या सहित कई मामले दर्ज हैं। मंगलवार तक उनके खिलाफ दर्ज केसों की संख्या करीब 25 पहुंच चुकी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, ‘हमारी भारत से अपील है कि वह शेख हसीना को कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार को सौंप दे। आलमगीर का कहना है कि शेख हसीना को शरण देकर भारत ने ठीक नहीं किया है। यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि हसीना भारत में रहकर बांग्लादेश में हुई क्रांति को विफल करने के लिए साजिशें रच रही हैं। हसीना को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैं यह बात दृढ़ता से कह रहा हूं और मुझे नहीं लगता कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन (शेख हसीना) को पनाह देकर ज्यादा प्यार मिल सकता है, जिसे देश से भागना पड़ा था। हालांकि, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने हसीना पर दर्ज मामलों को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आलोचना की है।

बात दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है। नई दिल्ली और ढाका के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर समझौता हुआ था। इस संधि के तहत दोनों देशों को उन लोगों को एक-दूसरे के हवाले करना जरूरी है, जिनके खिलाफ किसी भी अपराध के लिए अदालतों में कार्रवाई शुरू की गई हो। इस संधि के तहत कुछ भगौड़ों को भारत लाया गया है, तब कुछ को बांग्लादेश वापस भी भेजा गया है। साल 2016 में इस प्रत्यर्पण संधि में संशोधन हुआ था। इन अपराधों में वित्तीय अपराध भी शामिल हैं, जिसमें एक साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है। बीएनपी का कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और जबरन एक्सटॉर्शन के मामले प्रत्यर्पण वाले कैटेगरी में हैं।

अब सवाल उठाता है कि क्या हसीना को भारत से बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया जा सकता है? इस पर सूत्रों का कहना है कि भारत बांग्लादेश की मांग को ठुकरा भी सकता है। यह द्विपक्षीय संधि उन मामलों पर लागू नहीं होती है जो ‘राजनीतिक प्रकृति के होते हैं। अगर बांग्लादेश हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करता है, तब भारत के पास ठुकराने को सॉलिड जवाब हैं। भारत संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण के किसी भी मांग को ठुकरा सकता है। यह अनुच्छेद दोनों देशों को उन अनुरोधों को ठुकराने की अनुमति देता है जो ‘ईमानदारी से और न्याय के हित में नहीं’ किए गए हैं।

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