रांची। अल्पसंख्यक मामलों के विशेषज्ञ सह सामाजिक संगठन ऑल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन (आमया) के अध्यक्ष एस अली ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा नहीं जताने अर्थात चुनावी टिकट देने में पक्षपात करने पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कहा है राजनीतिक दलों द्वारा जमीनी हकीकत से दूर होकर इस प्रकार का निर्णय लेना उन्हें भारी पड़ सकता है। राज्य में मुसलमानों की कुल 15 फीसदी आबादी है। इस आबादी के अनुसार झामुमो, कांग्रेस, राजद एवं वामदल आदि दलों को मिलाकर मुसलमानों को कम से कम 12 सीट पर टिकट प्रदान करना चाहिए जबकि इसके विपरीत झामुमो ने 43 में से महज तीन एवं कांग्रेस ने 29 में से केवल दो मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, जो एक प्रकार से मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक हत्या है। कुल मिलाकर झामुमो एवं कांग्रेस ने केवल पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर सेक्यूलर पुल को पार करने एवं चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है, जो मुसलमानों की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। यह सीट शेयरिंग का 10 फीसद भी नही है। ज्ञात हो कि इससे पूर्व 2009 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने कुल आठ सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। राज्यभर के मुस्लिम उपजातियों में विशेष पकड़ रखने वाले श्री अली ने पब्लिक अड्डा से बातचीत के क्रम में बताया कि राजद एवं वामदल ने इस बार मुस्लिम प्रत्याशियों को सिरे से खारिज कर दिया है। यही कारण है कि उन्होंने एक भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे जबकि 10 सीट पर चुनाव लड़ रही आजसू ने भी महज एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार पर भरोसा जताकर मुसलमानों को खुश करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा पांच फीसद आबादी वाले ईसाई समुदाय से झामुमो ने 6 और कांग्रेस ने 3 कुल 9 सीट से उम्मीदवार बनाया गया है, जो स्वागत योग्य है। गौरतलब हो कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में कुल 81 सीटों पर दो चरणों में चुनाव संपन्न होना है। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।