रांची। झारखंड के बहुचर्चित द्वितीय झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) घोटाला के कई चार्जशीटेड आरोपियों ने 15 अप्रैल 2025 को सीबीआई कोर्ट में हाजिरी लगाई। इनमें प्रमुख रूप से जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप प्रसाद, तत्कालीन सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक एलिश ऊषा रानी, बोर्ड पैनल विशेषज्ञ सोहनराम एवं बटेश्वर पंडित का नाम शामिल है। उक्त सभी आरोपियाें समेत कुल 70 लाेगों काे उक्त घोटाले में आरोपी बनाया गया था। इन पर अपने पद पर रहते हुए द्वितीय जेपीएससी घोटाला करने का आराेप है। जांच में पाया गया था कि तत्कालीन जेपीएससी सदस्य और समन्वयक के निर्देश पर 12 अभ्यर्थियों के अंक अवैध रूप से बढ़ाए गए थे। इसके अलावा, कई अभ्यर्थियों के उत्तर पुस्तिकाओं में फेरबदल कर उनके अंकों में छेड़छाड़ की गई थी। अंतिम परिणाम में हेर-फेर करने के लिए साक्षात्कार के अंकों को भी बढ़ाया गया था। उत्तर पुस्तिकाओं को सत्यापन के लिए गुजरात स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया था, जिसमें उक्त बाताें की पुष्टि हुई थी।
13 वर्ष से चल रहा मुकदमा, दोषी अब भी बाहर
मामला उजागर होने पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने 7 जुलाई 2012 को मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद जांंच शुरू हुई जो लगभग 12 साल तक चली। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद आखिरकार 26 नवंबर 2024 को विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया। इतना सब कुछ होने के बाद दोषी अब भी बाहर है और सजा सेे बचा हुआ है। 15 अप्रैल 2025 को सम्मन जारी कर सीबीआई कोर्ट में चार्जशीटेड आरोपियों काे उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था जिसमें आरोपी पहुंचे थे। विदित हो कि 70 आरोपियों मेें से कई वर्तमान में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, जिन्हें डीएसपी रैंक में पदोन्नति भी दे दी गई है। कई तो जिला स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हैं। वर्तमान में यह मुकदमा 13 वर्ष का हाे चुका है बावजूद मुकदमा चल ही रहा है।
डॉ अजिता भट्टाचार्य, डॉ अनिमा हांसदा, डॉ जमाल अहमद ने संभाला जेपीएससी को
उक्त आरोपियों ने पूरे जेपीएससी के माथे पर कलंक लगा दिया था और इसे बदनाम कर रखा था। ऐसे में सरकार ने डॉ अजिता भट्टाचार्य, डॉ अनिमा हांसदा एवं डॉ जमाल अहमद काे जेपीएससी की बागडोर सौंपी। जेपीएससी के इन त्रय सदस्यों ने जेपीएससी के माथे पर लगे कलंक काे धो डाला और जेपीएससी से भ्रष्टाचार को दूर कर एक नई शुरुआत की। जब से इन त्रय सदस्यों ने जेपीएससी की बागडोर अपने हाथों में ली हैै, जेपीएससी में कार्य प्रणाली बदली है। परीक्षा परिणाम तेजी से और भ्रष्टाचार मुक्त दिए जा रहे हैं। युवाओं को जेपीएससी पर भरोसा बढ़ा हैै। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी वे फिर से करने लगे हैं। उनमें आशा की किरण का संचार हुआ है। सरकार काे भी इन त्रय सदस्यों पर विश्वास बढ़ा है। वे भी सुकून से हैं कि इन सदस्यों को जिस मकसद से लाया गया था, वह पूरा हो रहा है और लोगों का भरोसा इस संस्था पर बढ़ रहा है।
ये हैं आरोपी
मौसमी नागेश, रामकृष्ण कुमार, राधा प्रेम किशन, संगीता कुमारी, विकास कुमार पांडे, अरविंद कुमार सिंह, नंदलाल, डॉ दीनानाथ सिंह, मुनेंद्र तिवारी, शिव बहादुर सिंह, रघुवीर सिंह तोमर, डॉ योगेंद्र सिंह, डॉ ओंकार नाथ सिंह, डॉ सुधीर कुमार शुक्ला, अमरनाथ सिंह, डॉ प्रदीप कुमार उर्फ प्रदीप कुमार पांडे, डॉ दिवाकर लाल श्रीवास्त, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ बंशीधर पांडे, महेंद्र मोहन वर्मा, डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह, ओम प्रकाश सिंह, डॉ शशि देवी, संतोष कुमार चौधरी, राजीव कुमार सिंह, सुदामा कुमार, शिवेंद्र अमित कुमार, प्रमोद राम, प्रकाश कुमार, हरिशंकर मुंडा, शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव, हरिशंकर, राहुल, आनंद, कुमुद कुमार, डॉ शिशिर कुमार सिंह आदि।